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ये जरूरी नहीं कि कोई आपका अपमान या निंदा करे तो आपको भी उसके साथ वैसा ही करना चाहिए क्योकि यदि आप भी ऐसा करेंगे तो आप में और उस इंसान में क्या फर्क रह जाएगा ?
क्योकि यदि आप भी उसी की भाति व्यवहार करेंगे तो उस इंसान को कभी भी अपनी भूल का एहसास नहीं होगा बल्कि वो यही सोचेगा उसने आपके साथ जो भी किया सही किया। इसलिए यदि आप किसी को उसकी गलती का एहसास कराना चाहते हो तो सबसे पहले खुद गलती करना बंद करो। आपको सबसे अलग बनना है, जरूरी नहीं जिस रास्ते पर सब चल रहे उसी रास्ते पर आप भी चलो।
1. कैसे बनते है आप स्वयं अपनी खुशियों के शत्रु ?
नफरत, ईर्ष्या, क्रोध, अहंकार, ये सब बदले की भावना को और बढ़ाने का कार्य करते है इसलिए खुद को ऐसा मत बनने दो जिससे आगे चल कर आप स्वयं ही अपनी खुशियों के शत्रु बन जाओ।
2. जब कोई आपका अपमान करे तो क्या करें ?
कभी-कभी आप जिससे उम्मीद नहीं करते आपका सबसे करीबी इंसान आपके पीठ पीछे आपकी निंदा किसी और से करता है ये बात जब आपको मालूम चलती है तो आपके दिल और आपकी भावनाओं को बहुत ठेस पहुँचती है मगर आप कर भी क्या सकते हो ?क्योकि यदि वो आपका अपना है तो आप कभी उसका बुरा ना चाह सकते हो ना कर सकते हो। मगर यदि आप किसी को उसकी गलतियों का एहसास कराना चाहते हो तो उस इंसान को पहले की तरह तवज्जु देना छोड़ दो, उसके करीब रहना छोड़ दो, जब आप उससे दूरी बना लेंगे तो उसे खुद अपनी हर भूल का एहसास हो जाएगा क्योकि जरूरी नहीं अपमान के बदले किसी का अपमान कर उसे जवाब दिया जाए क्योकि एक जैसा व्यवहार कभी किसी इंसान को उसकी गलतियों का एहसास नहीं करा सकता है जब तक आप स्वयं में और खुद के व्यवहार में परिवर्तन नहीं लाते तब तक कोई भी आपकी अहमियत को नहीं समझ सकता।
3. आपको क्या लगता है कि जब कोई आपका अपमान करता है तो आपका मान सम्मान और इज्जत इससे घट जाती है ?
आपको शायद पता नहीं कि जब कोई किसी को छोटा दिखाने का या उसका अपमान करने का प्रयास करता है तो अपमान करने वाला खुद सबकी नजरों से गिर जाता है, वो खुद अपना सम्मान खो देता है।इसलिए बेहतर यही होगा आप ऐसे लोगों को और उनकी बातों को नजरअंदाज करना सीखे क्योकि लोग जब भगवान का अपमान करना नहीं छोड़ते तो हम इंसान क्या चीज है ? क्या भगवान अपने अपमान का बदला लेने आते है ?
भगवान को पता है उनका स्थान और उनका महत्व क्या है, किसी के कुछ कहने से कोई फर्क नहीं पड़ता भगवान को, क्योकि लोग खुद अपने साथ बुरा करते है भगवान के लिए गलत बोल कर या गलत सोच कर। इसलिए सदैव याद रखे इंसान को कभी अपनी गरिमा और अपनी मर्यादा को पार नहीं करना चाहिए।
ReplyDeleteThe answer to insult is not insult, sometimes we have to move ahead in life by forgetting everything and ignoring people because our life cannot stop because of anyone.very nice article by you..👍
Thank you
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