किसने कहा बेटियां बोझ होती है ?

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* किसने कहा बेटियां बोझ होती है ?


एक स्त्री के कई रूप है, कहीं स्त्री एक माँ है, कहीं स्त्री एक पत्नी, कहीं स्त्री एक बेटी है, कहीं स्त्री एक बहन। अपने हर दायित्व को एक स्त्री बखूबी निभाती है चाहे वो स्त्री माँ हो, पत्नी हो, बेटी हो या बहन। फिर आप में से कुछ लोग क्यों बेटियों को पराया धन कह कर पुकारते है ? फिर आप क्यों बेटियों को बोझ कह कर उसे कोसने की भूल कर सकते है ?


जब एक स्त्री माँ बनने वाली होती है तो कुछ लोग इस बात से परेशान होते है कहीं उन्हें घर बेटी ना हो यदि ऐसा हुआ तो उनके खर्चे अधिक बढ़ जायेगे उसके साथ उनकी जिम्मेदारियां भी अधिक बढ़ जायेगी। मगर एक बात कोई नहीं समझ सका कि आखिर बेटी के जन्म से लोग क्यों डरते है ? बेटी को जन्म देने वाली माँ भी तो किसी की बेटी थी फिर बेटियों के जन्म से लोग क्यों भयभीत हो जाते है ?


आप में से कुछ लोग बेटे के जन्म से बहुत फक्र महसूस करते है क्योकि बेटा आपकी नजरों में पराया धन नहीं होता, बेटे के जन्म से आप प्रसन्न होते है क्योकि बेटा सबकी नजरों में बोझ नहीं होता क्योकि बेटे के विवाह के समय दहेज़ लिया जाता है दिया नहीं जाता मगर बेटियों के विवाह के समय दहेज़ देना पड़ता है साथ ही साथ बेटियों को अपना घर छोड़ कर ससुराल जाना पड़ता है इसलिए ज्यादातर लोग बेटियों के जन्म से घबरा जाते है और उन्हें खुशी नहीं होती। 


* जो बेटियों को बोझ और परायी समझते है अवश्य ध्यान दे। 


ये सब आपकी अज्ञानता है क्योकि ना तो बेटियां कभी परायी कहलाती है और ना तो बेटियां कभी बोझ हो सकती है क्योकि बेटियां अपने दोनों कुल की शान कहलाती है चाहे मायका हो या ससुराल बेटियां अपने दोनों कुल की मर्यादा बना कर रखती है अपने फर्ज और दायित्व को वो कभी नहीं भूलती।


आपको बेटियों के जन्म से दुखी होने के बजाय फक्र महसूस करना चाहिए कि बेटियों में इतनी हिम्मत और साहस होती है की वो अपने माता पिता को अपने जन्म स्थान को छोड़ कर विवाह उपरांत अपने ससुराल जाती है और वहां जा कर वो सबके दिलो में अपने लिए स्थान बनाती है अपने अच्छे संस्कार अपने अच्छे विचार से अनजान लोग और अनजान रिश्ते को भी बेटियां अपना बना लेती है। फिर आप कैसे कह सकते है कि बेटियां पराया धन होती है ? फिर आप कैसे कह सकते है कि बेटियां बोझ होती है ?


इस बात को ना भूले कि इस संसार की नींव रखने वाली सभी जीव, प्राणी में शक्ति और प्राण ऊर्जा का संचार करने वाली भी एक स्त्री ही है जिसे आप देवी आदिशक्ति महादेव की अर्धांगनी पार्वती के नाम से जानते है। एक स्त्री त्याग, समर्पण, दया, करुणा, ममता, स्नेह, और प्यार की मूर्ति कहलाती है, ना तो स्त्री अबला होती है और ना ही स्त्री बोझ होती है बहुत खुशनसीब है वो घर जहां एक स्त्री बेटियों को जन्म देती है, क्योकि एक स्त्री पालन, सृजन और पोषण करने की क्षमता रखती है, एक स्त्री अपने कुल को आगे बढ़ाती है तथा एक स्त्री अपने कुल की मान मर्यादा और सम्मान की भी रक्षा करती है। 




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  1. You are absolutely right, daughters are not a burden, rather daughters are called the pride of their house, we should be happy with the birth of daughters.👍

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