(toc) #title=(Table Of Content)
जैसे धरती और आकाश मिल नहीं सकते, जैसे चाँद और सूरज कभी बदल नहीं सकते वैसे ही प्रेम का बंधन होता है जो ना मिल कर भी एक दूसरे से जुदा नहीं होते, जो दूर हो कर भी एक दूसरे से दूर नहीं होते, प्यार कभी मरता नहीं क्योकि प्यार अमर होता है, प्यार कोई खेल नहीं प्यार तो ईश्वर का वरदान होता है, प्यार की अहमियत वही समझता है जो छल और कपट से दूर रहता है, बरसता है उसी पर खुदा का नूर, बिछड़ कर भी जो अपने प्यार को पुनः पा ही लेता है, ये दो दिलो का जन्म -जन्म का अटूट बंधन होता है।
आप में से ऐसे बहुत से लोग होंगे जिन्हें प्यार पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं, जो प्यार को महज एक मजाक और खेल समझने की भूल करते है जिस कारण वो पूरी जिंदगी सच्चे प्यार से दूर रहते है। आप में से ज्यादातर लोग भगवान शिव और देवी सती की प्रेम कहानी का भी मजाक बनाने से पीछे नहीं हटते, जब आप भगवान की निंदा करना नहीं छोड़ते तो आप किसी इंसान के जज़्बात को क्या समझेंगे ?
सत्य तो ये है कि आपने अब तक महादेव को सही से समझा ही नहीं जब आप महादेव को ही सही से नहीं जानोगे तो आप उनके और सती के प्रेम को कैसे समझोगे ?
आप में से कुछ लोग कहते है शिव और सती की प्रेम कहानी अधूरी है, क्योकि सती आत्मदाह के बाद शिव से बिछड़ गई, महादेव को पाने के लिए देवी महासती ने कई यातनाएं सहन की अनेको कठिन परीक्षाओं से हो कर गुजरी अंततः जब महादेव और देवी सती का विवाह हुआ तो भी देवी महासती को महादेव का पूर्ण साथ प्राप्त ना हो सका और सती ने अपने पति भगवान शिव के सम्मान के लिए खुद का आत्मदाह कर लिया और शिव का साथ छोड़ कर सती शिव से सदा के लिए दूर हो गई। क्या वाकई ये सत्य प्रतीत होता है आप सभी को ?
1. क्या वाकई शिव और सती की प्रेम कहानी अधूरी रह गई ?
आज रूबरू होंगे आप सच्चे प्रेम से एक ऐसे अद्भुत प्रेम से जो बिछड़ कर भी कभी एक दूसरे से नहीं बिछड़ता, जो दूर हो कर भी सदा एक दूसरे के पास रहता है, क्योकि जिनकी साँसे एक दूसरे से जुड़ी है, जो एक दूसरे की जान है, जो एक ही शरीर का दो हिस्सा है ना वो उससे जुदा है, ना वो उससे अलग है उनका अर्धनारीश्वर रूप इस बात का प्रतिक है कि शिव और सती का एक ही स्वरूप है।
फिर कोई ये बात कैसे कह सकता है कि शिव से सती बिछड़ गई, फिर कोई कैसे कह सकता है कि दोनों की प्रेम कहानी अधूरी रह गई ? जब दोनों एक ही है अलग नहीं तो शिव और सती की प्रेम कहानी अधूरी कैसे हो सकती है ? सती शिव से कैसे बिछड़ सकती है ?
आप में से कुछ लोग ही इस बात को जानते होंगे क्योकि ज्यादातर लोग अंधकार में रौशनी ढूँढने के प्रयास में लगे है तो उन्हें सत्य का पता कैसे चलेगा ? आपकी जानकारी के लिए मैं बता दू कि देवी सती ने मनुष्य रूप में जन्म लिया और ऐसा एक बार नहीं हुआ शिव को पाने के लिए सती ने कई जन्म लिए है मगर सृष्टि की रक्षा के लिए आप सबके उद्धार के लिए सती को शिव से बिछड़ना पड़ता है ताकि संसार किसी समस्या से ग्रसित ना हो, ताकि पाप और अधर्म का विस्तार ना हो।आप महादेव और सती के संबंधो का मजाक तो बना देते हो मगर कभी ये जानने और समझने की कोशिश की है कि यदि आपके शरीर के आधे हिस्से को अलग कर दिया जाए तो आपको कितनी पीड़ा और कष्ट अनुभव होगा ? फिर भगवान हो कर भी जो संसार के लिए त्याग और बलिदान देते है उनके सच्चे प्रेम के सम्मान का महत्व क्या होगा ये आप मनुष्य कभी जान नहीं सकते है।
2. क्या उदेश्य है देवी महासती के मनुष्य अवतार लेने का ?
अपने मनुष्य अवतार में देवी सती ने संसार को ये समझाने का प्रयास किया है कि यदि प्रेम में सच्चाई, विश्वास, त्याग, बलिदान की भावना हो तो वो प्रेम साधारण नहीं रह जाता, बल्कि वो प्रेम अमर हो जाता है दिव्य और पवित्र हो जाता है जो असंभव को भी संभव बना जाता है और तुम्हें ईश्वर से मिला देता है, जैसे मनुष्य हो कर भी सती ने हर जन्म में महादेव को अपने पति के रूप में पाया है, ये हर युग में होता आया है और युगो-युगो तक होते आएगा जब भी नाम आएगा शिव का तो सती के साथ ही आएगा।हर जन्म में बस नाम बदलता है यदि कुछ नहीं बदलता तो वो है प्रेम। सतयुग में जो महासती कहलायी, फिर पुनर्जन्म ले कर वो सती पार्वती बन कर नया नाम पाई ,फिर से वही सती अपने कठिन तप से शिव का साथ पाई।
प्रेम न म्रियते, प्रेम कदापि न हास्यति, प्रेम तादृशः अखण्डः बन्धः यः कदापि स्वप्रेमिणः विरहः न भवति।।
अर्थात, प्रेम मरता नहीं, प्रेम कभी हारता नहीं, प्रेम एक ऐसा अटूट बंधन है जो कभी अपने प्रेम से अलग होता ही नहीं।