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1. किसके लिए खुलते है प्रगति के द्वार ?
इस दुनिया में कौन है जो अपनी प्रगति नहीं चाहता मगर प्रगति सबके लिए अपना द्वार नहीं खोलती, क्योकि प्रगति हासिल करने के लिए सर्वप्रथम अपनी सोच को बेहतर करना बेहद आवश्यक होता है तभी आप हर कदम पर सफलता हासिल कर सकते है अन्यथा नहीं।
अब मेरे इस प्रश्न का उत्तर है किसी के पास ? जब आप भगवान से कुछ मांगते है तो आपके हाथ खुले होते है या बंद ?
जाहिर सी बात है जब तक हाथ खुले नहीं होंगे हमें कोई वस्तु कैसे प्राप्त हो सकती है क्योकि बंद हाथ से तो कुछ भी प्राप्त नहीं किया जा सकता। फिर आप इस बात को क्यों नहीं समझते कुछ भी पाने के लिए हमें खुद को वैसा बनाना पड़ता है यदि तुम ईश्वर की कृपा हासिल करना चाहते हो तो इसके लिए भी तुम्हें दैविक गुणों को खुद में बसाना होगा, खुद को बुराई से आजाद करना होगा, मोहमाया ऐशो आराम की दुनिया से बाहर निकलना होगा।
2. परिश्रम कब रंग लाता है ?
कुछ लोग कहते है बिना मेहनत के कुछ भी हासिल नहीं होता, ये बात बिल्कुल सही है मगर सिर्फ मेहनत से ही काम नहीं चलता क्योकि तुम शरीर से यदि परिश्रम कर भी रहे हो मगर यदि तुम्हारा मन बुरे विचारों से ग्रसित है फिर इस परिश्रम का तुम्हें कोई लाभ नहीं क्योकि परिश्रम भी तब रंग लाता है जब इंसान अपनी सोच, अपनी आदते, अपने कर्म को नेक और पवित्र रखता है। अक्सर दवा से अधिक दुआ काम आ जाती है, दुआ भी उसी की काम आती है जिसकी सोच और जिसके कर्म अच्छे होते है। अब बात मैं प्रगति की करूँ तो आपकी प्रगति को कोई रोक नहीं सकता सिवाय आपके। यदि आपको ये मजाक लगता है तो यकीनन अब तक आपने जिंदगी में सही और गलत, उचित और अनुचित को जाना नहीं है।
3. क्या वाकई प्रगति मनुष्य के हाथ में है ?
ये बात बिल्कुल सही है कि आपकी प्रगति आपके ही हाथ में है मगर आप अपनी प्रगति को इधर-उधर तलाश रहे है। यदि आप अब भी नहीं समझे तो मैं इसे सरल भाषा में समझाने का प्रयास करती हूँ, जब आप अपने हाथो से किसी जरूरतमंद या असहाय की मदद करते हो, तो आपको ऐसा लगता होगा कि आप अपने धन में से कुछ भाग उसे दे रहे हो मगर आपको पता नहीं कि सबसे अमूल्य धन आप प्राप्त कर रहे हो।
4. कैसे बनते है आसान प्रगति के रास्ते ?
जब आप अपने माता पिता, बड़े बुजुर्गो की सेवा करते हो उन्हें प्यार और सम्मान देते हो तब आप अपने प्रगति के रास्ते को आसान बनाने लगते हो, जब आप बुरी आदतों से, बुरे विचारो से खुद को दूर रखने में सफल होते हो तब अपने जीवन की सभी बाधाओं को पार कर पाने में सफल होते हो, चाहे दुःख हो या सुख जब आप ईश्वर से कोई शिकायत नहीं करते, जब आप पूरी निस्वार्थ भक्ति से ईश्वर पर विश्वास बनाए रखते हो तब आप अपनी प्रगति के बेहद करीब पहुंच जाते हो।
ये स्वकर्तव्यतः न निवर्तन्ते, ते जीवने पराजयस्य सम्मुखीभवन्ति न, परिश्रमं विना किमपि साध्यं न भवति, तथैव प्रगतेः द्वाराणि सद्भावं विना न उद्घाट्यन्ते।
अर्थात, अपने कर्तव्यों से जो मुख नहीं मोड़ते, जिंदगी में हार का वो मुख नहीं देखते, बिना श्रम के कुछ हासिल नहीं होता, ठीक वैसे ही बिना नेकी के प्रगति का द्वार नहीं खुलता।
ReplyDeleteDo good deeds and serve your parents, only then you will be able to reach closer to success. Very inspiring article. 👍
Thank you
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