इस कलयुग में बहुत मुश्किल है किसी ऐसे इंसान को ढूँढना जिसे वाकई आपकी परवाह है, कहने को तो सब अपने है, माता पिता, भाई, बहन और भी कई रिश्ते मगर फिर भी ना जाने क्यों दिल में एक कौतुहल और शोर है जो बार- बार यही कहने का प्रयास कर रहा है कि क्या हो गया है इंसानों को अपने हो कर भी वो पराये का एहसास कराते है।क्या हो गया इन रिश्ते को जो हमसे जुड़ कर भी हमे एक दूसरे से अलग होने का अनुभव कराते है ?आखिर क्या है इसकी वजह जो अपने ही परिवार के बीच एक दीवार बन कर खड़ा है ?
जबसे होश संभाला मैंने यही महसूस किया कि काश इस दुनिया में कोई ऐसा होता जिसे बिना किसी स्वार्थ के अपनों से प्यार होता दिलों जान से जो उनकी परवाह करता, ना जाने कौन सी दुनिया में आ गई हूँ मैं, जहाँ अपनों के बीच रह कर भी किसी अपने को ढूँढ रही हूँ मैं, करूँ मैं किससे शिकवा और शिकायत भला अपनों के लिए कैसे पालू मैं नफरत ?
1. जिंदगी के फैसले सोच समझ कर ले क्योकि ये जिंदगी आपकी है किसी और की नहीं तो फैसले भी आपके होने चाहिए।
इस दुनिया में अनगिनत लोग है, हर इंसान की सोच एक जैसी नहीं हो सकती, जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आते जाते रहते है, कभी-कभी कुछ ऐसे हालात आ कर खड़े हो जाते है जिससे हमारे रिश्ते की नींव कमजोर पड़ने लगती है, हमारे ही अपने हमारे खिलाफ खड़े हो जाते है, जिस कारण हम ये निर्णय नहीं ले पाते कि हमें जाना किस ओर है, एक रास्ता जो अभी लोगों को गलत लग रहा मगर कल को वही रास्ता हमारे अपनों की जिंदगी को एक बेहतर दिशा में ले जाएगा, दूसरा रास्ता जिसे हमारे अपनों ने चुना है जो बेहद आसान है मगर उस रास्ते पर यदि हम एक बार चल पड़े तो हमारे साथ-साथ हमारे अपनों की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी फिर ना हम दोबारा किसी दूसरे रास्ते को चुन सकते है और ना हम दोबारा अपनी जिंदगी को संवार सकते है।
इस दुनिया में अच्छा बन कर जीना आसान नहीं मगर हमारा दिल कभी कोई गलत कदम या किसी गलत रास्ते का चुनाव करने की इजाज़त नहीं दे सकता क्योकि हमने खुद को सबसे अलग पाया है यही वजह है कि आज हमारे अपने ही हमें पसंद नहीं करते, यही वजह है कि कुछ लोग हमारी अच्छाई का फायदा उठाने से पीछे नहीं हटते, हमारे भोलेपन को आज लोग हमारी मूर्खता समझते है,हमारी खामोशी को लोग हमारा अभिमान समझते है।
2. जिंदगी में सही फैसले के लिए यदि तुम्हें अकेला चलना पड़े तो भी कभी पीछे मत हटना।
जब भी किया मैंने गलत का विरोध खुद को पाया मैंने अपनों से दूर, गम नहीं कि जिंदगी ने मुझे अकेले तन्हा रहने पर मजबूर किया है क्योकि मैंने खुद ही अकेले चलने का फैसला किया है, ये वक्त जो आज मेरे खिलाफ है कल यही वक्त मेरे साथ होगा क्योकि जब होगा सही और गलत का फैसला तब वक्त का मेरे हक़ में फैसला होगा फिर हर कोई मेरी वास्तविक सच्चाई से रूबरू होगा क्यों लिया मैंने अकेले चलने का फैसला मेरी असलियत सबकी नजरों के सामने होगा।
3. ये जिंदगी खेल नहीं तुम्हारी खुशियाँ किसी दूसरे का मोहताज नहीं।
एक बात आज मैं आप सबसे कहना चाहूंगी कि अपनी जिंदगी को कभी खेल समझने की भूल मत करना, कोई भी फैसला जो सही नहीं उस गलत फैसले को अपनों की खुशी के लिए भूल कर भी मत लेना क्योकि तुम्हारा दुःख और तुम्हारी पीड़ा का अनुभव तुम्हारे सिवा कोई और नहीं कर सकता चाहे वो तुम्हारा कितना भी अपना हो अजीज हो मगर अपने जीवन को किसी के कहने पर दांव पर मत लगाना, चाहे बात तुम्हारी करियर की हो, विवाह की हो या कुछ और, कोई भी निर्णय बहुत सोच समझ कर लेना क्योकि जिंदगी एक बार मिलती, शादी भी एक बार ही होती है, करियर भी एक बार ही मौका देता है अब फैसला तुम्हें करना है क्योकि जिंदगी तुम्हारी है, तो फैसले भी तुम्हारे होने चाहिए।
ReplyDeleteI am feeling very proud after reading this article of yours, you have described a very good experience of understanding life in this article. 👍
Thank you
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