** 30 अप्रैल, 2025 को अक्षय तृतीया मनाई जाएगी, जो समृद्धि और नई शुरुआत से जुड़ा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया को, जिसे आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है, मनाया जाता है। भारत में, अक्षय तृतीया को व्यापक रूप से निवेश के लिए समृद्धि के दिन के रूप में मनाया जाता है, विशेष रूप से सोने में।
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* ( 1 ) अक्षय तृतीया क्यों महत्वपूर्ण है?
** अक्षय तृतीया पर, हिंदुओं का मानना है कि अच्छे कर्म करने या समझदारी से वित्तीय निर्णय लेने से दीर्घकालिक सफलता मिलेगी। अक्षय शब्द का अर्थ है जिसका क्षय ना होना अर्थात नाश ना होना "शाश्वत" या "कभी कम न होने वाला", जबकि तृतीया का अर्थ है "तीसरा", जो चंद्र कैलेंडर में तिथि को संदर्भित करता है। इस दिन को मनाने के लिए पारंपरिक सोने की खरीदारी की जाती है, जिसे निरंतर धन लाने वाला माना जाता है। यह रिवाज भारतीय घरों में गहराई से समाया हुआ है, जहाँ परिवार इस अवसर का उपयोग नए उद्यम शुरू करने या महत्वपूर्ण वित्तीय निर्णय लेने के लिए करते हैं।
** अक्षय तृतीया पर देवी लक्ष्मी श्री विष्णु का ध्यान करें विधि विधान से पूजन अनुष्ठान करें। ऐसा माना जाता है इस दिन किया गया व्रत, दिया गया दान बहुत महत्व रखता है इसके साथ ये भी आवश्यक है आप अपने मन ,आचरण और व्यवहार पर भी सुधार लाएं क्योकि जब तक आपका मन आपका आचरण और आपका व्यवहार निर्मल और शुद्ध नहीं होगा तब तक कोई भी पूजन और अनुष्ठान का कोई लाभ नहीं होगा।
* ( 2 ) अक्षय तृतीया 2025 की तिथि और समय :-
29 अप्रैल 2025 को शाम 5:31 बजे से प्रारंभ होकर तृतीया तिथि 30 अप्रैल 2025 को दोपहर 2:12 बजे समाप्त होगी।
* ( 3 ) पूजा का मुहूर्त:-
30 अप्रैल 2025, सुबह 5:40 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक।
* ( 4 ) अक्षय तृतीया से जुड़ी कुछ पौराणिक कथाएं और मान्यताएं।
** गंगा का अवतरण: इस दिन हिंदू धर्म में पवित्र मानी जाने वाली गंगा नदी स्वर्ग से भूलोक वैकुंठम (पृथ्वी) पर उतरी थी, जिससे यह दिन नदियों में अनुष्ठानिक स्नान और शुद्धि और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करने के लिए महत्वपूर्ण हो गया।
** परशुराम का जन्म: यह दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार, ऋषि परशुराम के जन्म से भी विख्यात है। ऐसा माना जाता है कि परशुराम ने दुनिया के भ्रष्ट क्षत्रिय शासकों को उखाड़ फेंका था।
** त्रेता युग की शुरुआत: यह दिन त्रेता युग की शुरुआत का प्रतीक है, जिसे हिंदू ब्रह्मांड विज्ञान चार मानव युगों में से दूसरे युग के रूप में संदर्भित करता है और एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का प्रतीक है।
** कुबेर की नियुक्ति: कुछ हिंदू किंवदंतियों के अनुसार, शिव ने इस दिन धन के देवता कुबेर को स्वर्ग के कोषाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया था। अक्षय तृतीया पर, उत्सव मनाने वाले लोग कुबेर के साथ इस संबंध के कारण धन और प्रचुरता के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।
** महाभारत की किंवदंतियाँ: इस त्यौहार और महाकाव्य महाभारत के बीच भी एक संबंध है। किंवदंती के अनुसार, ऋषि व्यास ने इस दिन भगवान गणेश को महाभारत सुनाना शुरू किया था, गणेश ने महाकाव्य लिखना शुरू किया था।
** महाकाव्य की एक कहानी के अनुसार, कृष्ण ने द्रौपदी (पांडव राजकुमारों की पत्नी) को अक्षय पात्र नामक एक दिव्य पात्र दिया था, जो पांडवों के निर्वासन के दौरान भोजन की अंतहीन आपूर्ति प्रदान करता था। यह कहानी त्यौहार को जीविका, प्रचुरता और समृद्धि से जोड़ती है।
** निष्कर्ष:-
पौराणिक कथाओं के अनुसार अक्षय तृतीया पर कई बड़ी घटनाएँ घटित हुईं। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम का जन्म इसी दिन हुआ था, जिससे त्रेता युग की शुरुआत हुई थी। अन्य किंवदंतियों के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन महर्षि वेद व्यास ने भगवान गणेश को महाभारत सुनाना शुरू किया था। यह भी कहा जाता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण की अपने मित्र सुदामा से मुलाकात हुई थी और गंगा स्वर्ग से धरती पर आई थी। यह कहानी त्यौहार को जीविका, प्रचुरता और समृद्धि से जोड़ती है।