कहां छिपे है आपके भाग्य के सितारे ?

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आप यदि अपने भाग्योदय चाहते है तो आपका भाग्योदय केवल पूजापाठ,जप-तप से नहीं होता क्योकि भाग्योदय किसी पूजापाठ और जप-तप पर आश्रित नहीं होता ये तो केवल मनुष्य के कर्म और संस्कार पर आधारित और आश्रित होता है। आपका भाग्य ना तो ईश्वर तय करते है और ना ही आप तय करते है सत्य तो यही है कि एकमात्र आपका कर्म आपके भाग्य को तय करता है आपका भाग्य केवल आपके कर्मो से जुड़ा है। कुछ लोग पंडित या ज्योतिष के पास जा कर अपने भाग्य के विषय में पूछते है कि उनके भाग्य में क्या लिखा है ? 


1. कोई उपाय या कोई मंत्र क्या भाग्य को उज्जवल कर सकते है ?


ऐसा प्रश्न यदि कोई करता है तो उसे एक बात अवश्य बता देना चाहूंगी यदि किसी उपाय या किसी मंत्र से भाग्य बदल जाता तो आज कोई भी इंसान ऐसा कर हर असंभव को संभव कर लेता, ना तो किसी को पैसे की कोई कमी होती और ना ही कोई समस्याओं से विचलित होता। कोई भी पंडित या कोई ज्योतिष आपके भाग्य नहीं लिख सकता यदि पंडितों और ज्योतिषों में इतनी शक्ति होती तो वो एक मृत व्यक्ति को जीवित कर देते। 


2. कहां छिपे है आपके भाग्य के सितारे ?


यदि आप मेहनत करेंगे तभी आपको मेहनत का फल मिलेगा यदि आप कर्म करेंगे तभी आपका कर्म आपको बेहतर परिणाम देगा। कर्म ऐसा हो जो किसी के तकलीफ की वजह ना बने, कर्म ऐसा हो जो किसी की जिंदगी को बर्बाद करने का प्रयास ना करें। हमेशा याद रखे आप जो भी भोजन पकाएंगे वही भोजन आप ग्रहण करेंगे चाहे भोजन तीखा हो या मीठा ये आपके कर्म और प्रयास पर आधारित है। 


आपको क्या लगता है ईश्वर ने संसार को बना कर सभी मनुष्यों का निर्माण कर अपना फर्ज और कार्यभार छोड़ दिया है ? अब उन्हें कोई मतलब नहीं चाहे इंसान कोई मनमानी करें ईश्वर को इससे फर्क नहीं पड़ता तो ये आपकी सबसे बड़ी भूल है क्योकि ऐसा बिल्कुल नहीं कि ईश्वर किसी पर नजर नहीं रख रहे, ईश्वर सबको देख रहे है, क्या आप अपने भवन का निर्माण कर उसे किसी और के भरोसे छोड़ देते है ? जब आपको अपने द्वारा बनाए घर से इतना स्नेह है तो ईश्वर को कितना स्नेह होगा इस संसार से क्या इसका अनुमान आप लगा सकते हो ?


ईश्वर आपके माता पिता के समान है वो अपनी सभी संतानो को एक अवसर देते है और वो अवसर है ये है कि आप खुद अपने भाग्य को सुनिश्चित करो जिसे केवल आपका कर्म बदल सकता है, आपका कर्म ही आपका सहायक भी है आपका कर्म ही आपका विरोधी भी है ऐसा क्यों कहा मैंने इसका एक मुख्य कारण है और वो कारण ये है कि जब आप कोई गलत कार्य को अंजाम देने का प्रयास करते है तो आपके भाग्य को आप अपने हाथों से मिटा देते है मगर जब आप अच्छे और नेक कर्म करते है तब आपका भाग्य आपके अच्छे पुण्य कर्मो द्वारा उज्जवल दिशा पाता है जिससे आप मान सम्मान और ख्याति प्राप्त करते है। 


तव दैवतारकाः तव कर्मसु निगूढाः सन्ति, येषां मेटनं कोऽपि न कर्तुं शक्नोति, येषां परिवर्तनं कोऽपि न कर्तुं शक्नोति, अतः सम्यक् कर्माणि चित्वा कर्मणा स्वस्य भाग्यं सुनिश्चितं कुरुत।

अर्थात, तुम्हारे कर्मो में ही छिपे है तुम्हारे भाग्य के सितारें, जिसे कोई मिटा नहीं सकता, जिसे कोई बदल नहीं सकता, इसलिए उचित कर्मो का ही चयन करों और अपने कर्मो द्वारा स्वयं अपना भाग्य सुनिश्चित करों। 


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2Comments


  1. You are absolutely right, our destiny is decided by our deeds and we get right and wrong results by our deeds only, that is why we should always choose good deeds.❤👍

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