किस सत्य की खोज में है ये संसार ?

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इस संसार में रहने वाले हर मनुष्य अपनी जिंदगी अलग-अलग तरीके से जीते है, क्योकि सबकी पसंद नापसंद एक दूसरे से भिन्न है, सबकी सोच एक दूसरे से भिन्न है।आज भी कुछ लोग इस कलयुग में रहते हुए भी सतयुग काल को स्मरण करते है और खुद को यही संतावना देने का प्रयास करते है कि भले ही युग बदला है मगर यदि बदलते युग के साथ हम तो नहीं बदले, हमारे संस्कार तो नहीं बदले, हमारी सोच तो नहीं बदली। 


** जीवन का सत्य क्या है ?


मगर सबसे बड़ी चिंता का विषय ये है कि कुछ लोग अपने उचित दायित्वों को समझ नहीं पा रहे है और इस कारण वो सही रास्ते से भटक गए है, उन्हें लग रहा जिस रास्ते का चुनाव उन्होंने किया है वो रास्ता आसान रास्ता है जहां कोई दुःख और समस्या नहीं, जहां कोई मोहमाया नहीं। कुछ लोगों का ये भी कहना है कि वो सांसारिक मोहमाया से दूर रहना चाहते है इसलिए वो अपना घर अपना परिवार सब कुछ छोड़ कर सबसे दूर आ गए ताकि वो सत्य की खोज कर सके, आखिर उनके जीवन का सत्य क्या है ?


कुछ माता पिता अपने बालकों को कम उम्र से ही किसी गुरू अघोरी या साधु को सौप देते है ताकि उनके बच्चे ज्ञान प्राप्त कर सके उनका आध्यात्मिक उत्थान हो सके। आज के बदलते युग में तो लोग अपनी परछाई पर भी यकीन नहीं करते तो फिर कैसे वो मासूम बच्चे किसी अनजान के साथ अपना जीवन यापन कर सकते है ?


 ** किसी समस्या या मोहमाया से दूर रहने के लिए तपस्वी या साधु बनने की चाह रखने वाले इस बात पर अवश्य ध्यान दे। 


जो लोग वैराग्य को धारण कर साधु और तपस्वी बन कर घूम रहे है यदि उनकी मनसा वाकई ईश्वर की कृपा प्राप्त करना और जन कल्याण की भावना है तो वो गलत नहीं मगर यदि कोई मनुष्य किसी समस्या या मोहमाया से दूर रहने के लिए तपस्वी या साधु बनने की चाह रखता है तो ये गलत है। संसार में कोई भी ऐसा विद्वान और महाज्ञानी नहीं आया जो वास्तविक सत्य को ढूंढ़ पाया है। क्योकि जिस सत्य को आप सब ढूंढ रहे हो वो सत्य आपके बहुत करीब है। 


आप महादेव से यदि कुछ नहीं सीखे तो आप क्या सत्य को ढूंढ़ पाएंगे ? महादेव महासंयासी, एक वैरागी थे जो हमेशा ध्यान में बैठे रहते है, महादेव ने आखिर क्यों देवी महासती से विवाह किया ?


क्योकि कोई पुरुष नारी के बिना सम्पूर्ण नहीं शरीर का अर्धभाग होती है पत्नी, जब आपका आधा हिस्सा ही आपसे दूर है फिर आपकी कोई भी तपस्या और त्याग किसी काम की नहीं क्योकि वो तपस्या अधूरी है वो तभी पूरी होगी जब आपका अर्धभाग आपसे जुड़ेगा। विवाह एक पवित्र अटूट बंधन है जिसे स्वयं महादेव ने स्वीकार किया और देवी महासती से विवाह किया। गृहस्थ जीवन यदि प्यार, समर्पण, सम्मान और त्याग से जुड़ा हो तो वो कभी आपके जीवन को मोहमाया में नहीं बाँध सकता। 


ये सब तो मनुष्य की सोच पर निर्भर करता है जो काम, क्रोध, मद, लोभ और मोह को जीत लेता है वो कभी निराश नहीं होता वो कभी सत्य की तलाश में नहीं भटकता। सच्ची भक्ति और नेक कर्म से बड़ा कोई तप नहीं होता यदि आपकी आस्था और निष्ठा ईश्वर के प्रति सच्ची है, यदि आपके दिल में बड़े बुजुर्गो के लिए प्यार और सम्मान   है तो मान लेना आप जीवन के वास्तविक सत्य को समझ चुके हो।माता पिता से बड़ा कोई गुरू नहीं इसलिए अपने बच्चों में आप स्वयं उचित और अच्छे संस्कार को जन्म देने का प्रयास करें। 


अद्य जगत् यत् सत्यं अन्वेषयति, तत् सत्यं यत् तत् वास्तविकं सत्यमेव अङ्गीकुर्वति, यतः ये स्वकर्मभ्यः निवर्तन्ते, तेषां वास्तविकता एषा यत् ते स्वयमेव वास्तविकं सत्यं दूरीकर्तुं प्रयतन्ते।

अर्थात, आज संसार जिस सत्य को तलाश रहा, सत्य तो ये कि वो वास्तविक सत्य को ही झुठला रहा, क्योकि जो अपने कर्म से मुख मोड़ रहे है, हकीकत तो यही है कि वो वास्तविक सत्य को स्वयं ही दूर करने का प्रयास कर रहे है। 


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  1. You have given very good guidance, small children should never be kept away from their parents.👍❤

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