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गया धाम में भी है मौजूद कामाख्या शक्तिपीठ |
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1. किसके दर्शन के बिना गया विष्णुपद मंदिर की पूजा अधूरी मानी जाती है ?
ऐसे तो आपने विष्णुपद धाम का नाम अवश्य सुना होगा जहां श्री विष्णु के चरण मौजूद है, इस पावन धाम पर आ कर यात्रीगण अपने पूर्वजो का श्राद्ध और पूजा पाठ किया करते है। ताकि मरने वाले की आत्मा को शांति और मोक्ष प्राप्त हो सके। मगर क्या आपको पता है कि विष्णुपद धाम से पूर्व ही देवी कामाख्या का प्रसिद्ध पावन मंदिर भी वही मौजूद है जहां पर श्रदालु जा कर अपनी मनोकामना की पूर्ति हेतु देवी कामाख्या के उस मंदिर में पूजा अर्चना करते है ऐसा कहा जाता है कि देवी के मंदिर के दर्शन के बिना आपकी यात्रा और पूजा अधूरी मानी जाती है, इसलिए श्रदालु विष्णुपद मंदिर के दर्शन के पश्चात इस पवित्र शक्तिपीठ के दर्शन करते है।
2.कौन है देवी कामाख्या ?
देवी कामाख्या भगवान शिव की अर्धांगनी देवी पार्वती का ही स्वरूप है। सभी कामनाओं की पूर्ति करने वाली देवी कामाख्या को राज राजेश्वरी, त्रिपुर सुंदरी के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें दस महाविद्याओं की देवी माना गया है।
देवी कामाख्या की भक्ति करने वाले साधक को किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता और ना ही उस पर किसी भी प्रकार का तंत्र,मंत्र,जादू -टोना का असर होता है।असम के गुवाहाटी नीलांचल पर्वत पर स्थित देवी कामाख्या का प्रमुख शक्तिपीठ है जहां देवी महासती का गर्भ भाग गिरा था। जहां हर साल अंबुवाची मेला का आयोजन होता है।
मगर मेरा ऐसा मानना है कि माता केवल शक्तिपीठ या मंदिर में ही मौजूद नहीं, माता तो कण-कण में मौजूद है, यदि संतान दिल से याद करें तो माता अवश्य उसकी पुकार सुनती है। मगर जब आपका मन अशांत रहता है, जब सबके करीब हो कर भी आप खुद को अकेला महसूस करते है, जब कोई बात विवश्तावश आप किसी से कह नहीं सकते तो ऐसे में आप अपने दुःख को अपनी बात को ईश्वर के साथ बांटते है उनसे अपनी हर तकलीफ बताते है क्योकि आपको विश्वास होता है कोई समझे या ना समझे मगर ईश्वर मेरी विवश्ता को अवश्य समझेंगे और मुझे सही मार्ग अवश्य दिखाएंगे,और माँ तो माँ होती है उसकी ममता और करूणा का कोई पार नहीं।
3.किस पर बरसती है देवी कामाख्या की करुणा और दया ?
ऐसी ही है माता कामाख्या जो अपनी सभी संतानो पर अपनी ममता और करूणा बरसाती है, मगर माता की दया उन्हीं पर होती है जो सही मार्ग का अनुसरण करते है, जो अच्छे कर्मो का चुनाव करते है। याद रहे यदि संतान मार्ग से भटक जाए और गलत राह पर चल पड़े फिर किसी भी पूजा या शक्तिपीठ के दर्शन उसे माता के प्रकोप से नहीं बचा सकते है। इसलिए किसी भी पवित्र धाम में जाने से पूर्व स्वयं को पवित्र करने का प्रयास करें, अपने कर्मो में एक बेहतर बदलाव और सुधार लाने का प्रयास करें।
ReplyDeleteYou explained it very well. When I get a chance, I will definitely visit the famous holy place of Gaya.👍
Thank you
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