संशय को करें दूर।

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 जीवन के हर मार्ग में हमें अनेक प्रश्नों से हो कर गुजरना पड़ता है, जिनमे कुछ प्रश्न इतने कठिन होते है, जिसका हल हमे आसानी से नहीं मिलता, कुछ फैसले जो हमारे जीवन से जुड़े होते है, उन फैसलों को भी हम आसानी से ले नहीं पाते क्योकि हमे कोई ना कोई संशय अवश्य परेशान करता है,कहीं हमारा फैसला गलत तो नहीं ? क्या मैं उस पर विश्वास करू ? क्या ये सही है या गलत ?



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चाहे कोई भी फैसला हो, कोई भी निर्णय लेने से पूर्व हमें संशय अवश्य होता है, करियर,प्यार,शादी खास कर ऐसे फैसले तो बहुत सोच समझ कर लेने चाहिए क्योकि ये हमारी जिंदगी का सवाल है, जिसका सीधा असर हमारी जिंदगी पर पड़ता ऐसे अहम फैसले बहुत सोच समझ कर करनी चाहिए। 


जहां पर माता-पिता,भाई बहन हमारे सबसे करीबी रिश्ते की बात आती है, तो वहां पर संशय का कोई प्रश्न ही नहीं खड़ा होता क्योकि इन पर संशय करना अर्थात स्वयं पर संशय करने के समान है, क्योकि हम स्वयं को कभी हानि नहीं पंहुचा सकते और हमारे माता-पिता, भाई बहन हमारी जिंदगी है, जिनसे हमारी खुशियां हमारा जीवन जुड़ा है, वो हमारी ही परछाई है,भला हमारी परछाई हमे कैसे धोखा दे सकती है ? और हम अपनी परछाई पर कैसे संशय कर सकते है ? 


हम अपनी परछाई को पहचानने में कैसे भूल कर सकते है ? हम जहां भी जाते है, हमारी परछाई सदा हमारे साथ जाती है,चाहे दुःख हो या सुख हमारी परछाई कदम से कदम मिला कर हमारे साथ चलती है। इसलिए अपनों के लिए तुम्हे अपने दिल में कोई संशय रखने की कोई आवश्यकता ही नहीं। 


1.संशय कैसे दूर होता है ?


जहां पर निस्वार्थ प्रेम होता है, वहां से हर संशय अपने आप दूर होता है। यदि तुम्हारा दिल छल कपट से दूर है, यदि तुम्हारा मन साफ है, यदि तुम्हारे अंदर निश्छल भाव है, तो कोई भी संशय तुम्हे परेशान नहीं कर सकता। 


बाहर की दुनिया में जब तुम अपने कदम रखते हो, जिन लोगो से तुम अनजान हो, या अभी-अभी तुमने उन्हें जानना शुरू किया है, यदि वो तुमसे अच्छा व्यवहार करते है, तुम्हे सम्मान देते है, तो तुम भी उन्हें सम्मान दो, अच्छा व्यवहार करो मगर तुम उनके लिए कोई भी निर्णय सोच समझ कर लो क्योकि यहां संशय तुम्हे परेशान कर सकता है, क्योकि तुम्हे ऐसा लगेगा कि जिन लोगो से मैं मिलता हूँ, वो मेरे सामने तो ठीक से पेश आते है, मगर उनके दिल में क्या है ? मैं इसे कैसे जान सकता हूँ ? इतना बड़ा फैसला मैं कैसे कर सकता हूँ ? 


2. अपने जीवन में इस बात पर अवश्य ध्यान दे। 


 जीवन में एक बात हमेशा याद रखना कि तुम एक मनुष्य हो तुम्हारे भीतर कोई बड़ी शक्ति नहीं जो तुम्हे अच्छे और बुरे का एहसास कराएगी, मुसीबत आने से पहले तुम्हे सावधान करेगी, इसलिए तुम्हे अपने आत्मशक्ति को आत्मज्ञान को खुद ही जागृत करना होगा, ये तुम कैसे करोगे मैं तुम्हारा मार्गदर्शन करुँगी अर्थात अपने लेख के माध्यम से तुम्हे बतलाऊगी।सबसे पहले तुम स्वयं को गंभीर बनाना सीखो अर्थात हर बात को मजाक में लेना, या किसी से भी बिना जाने संपर्क बढ़ाना, खुद के जीवन का सारा रहस्य सबके समक्ष उजागर करना ये सब भूल करना बंद करो। अपने प्रत्येक कार्य को समय से करना सीखो, अपने समय का सदुपयोग और सम्मान करो।चाहे जीवन में दुःख हो या सुख ईश्वर को याद करना मत भूलो, हर दिन अपने द्वारा किए गए हर भूल के लिए ईश्वर से क्षमा याचना करना मत भूलो। जरुरी नहीं ये तुम्हारा पहला जन्म है, हो सकता है इससे पहले भी तुम्हारे कई जन्म हुए हो तुमसे उस जन्म में यदि जाने अनजाने कोई भूल हुई हो तो उसके लिए भी तुम्हे ईश्वर से क्षमा अवश्य मांगनी चाहिए। 


बाहर और भीतर से स्वयं को स्वच्छ बनाओ, सकारात्मक सोच और विचारो का ही अनुसरण करो, अपने दिमाग को सदैव नकारात्मकता से मुक्त रखो, गलत का विरोध करना सीखो,अन्याय को सहना बंद करो। अपने माता-पिता बड़े बुजुर्गो का सदैव सम्मान करो। 


3. कैसे पाएं संशय का समाधान? 


कुछ पल तुम खुद को एकांत दो, अर्थात भीड़ से दूर हो कर तुम कुछ समय खुद को दो, अपनी आंखो को बंद कर ध्यान में बैठना आरंभ करो, मगर याद रहे जब तुम ध्यान में बैठोगे तुम्हारा दिमाग शांत रहना चाहिए, तुम्हारा चंचल मन तुम पर हावी नहीं होना चाहिए, पूर्ण एकाग्रता के साथ तुम्हे ध्यान में कुछ समय बैठना है। ये अभ्यास तुम्हे हर सुबह करना है, यदि तुमने पूर्ण एकाग्रता हासिल कर ली और अपने चंचल मन पर विजय हासिल कर ली तो समझ लेना तुम्हारे आत्मज्ञान और आत्मशक्ति की जाग्रति हो चुकी है, अब तुम्हे कोई भी संशय, कोई भी समस्या परेशान नहीं कर सकती।एक बात जो सबसे अहम है, वो ये है कि आप सभी मनुष्य इतने व्यस्त है कि खुद को ही समय नहीं दे पाते, आप खुद के ही ज्ञान शक्ति को नहीं जान पाते, जब सारा बोझ आपके कंधे पर रख दिया जाए तो क्या आप आगे बढ़ पाएंगे ? कहने का तात्पर्य है जब बेवजह की बातो का बोझ आपके दिमाग पर हावी होगा तो क्या आपका दिमाग आगे अपना कार्य कर पाएगा ? जब दिमाग ही कार्य नहीं करेगा तो आपके संशय का समाधन आपको कैसे प्राप्त होगा ?


* तव चञ्चलं मनः तव शत्रुः, चञ्चलं मनः भवतः सर्वेषां संशयानां कारणम् अस्ति, अतः भवतः मनः नियन्त्रयितुं शिक्षन्तु, तदा प्रत्येकं संशयः भवतः दूरं गमिष्यति, भवतः जीवनस्य सर्वे प्रश्नाः निराकृताः भविष्यन्ति।


अर्थात,  तुम्हारा चंचल मन ही तुम्हारा शत्रु है, अशांत मन ही तुम्हारे सभी संशयो का कारण, इसलिए अपने मन को अपने वश में करना सीखो, फिर हर संशय तुमसे दूर होगा, तुम्हारी जिंदगी के सभी प्रश्नो का हल होगा। 




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