वक्त चाहे कितना भी बदल जाए मगर इंसान के खयालात कभी वक्त के साथ नहीं बदलना चाहिए। कहने का अर्थ है दुनिया में सब कुछ पैसे से नहीं चलता, ये कुछ दंभ मनुष्यो की सोच है जो ऐसा सोचते है कि यदि उनके पास सबसे अधिक पैसा है तो दुनिया उनकी मुठ्ठी में है।
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1. जो ये सोचते है दुनिया आपकी मुट्ठी में है।
आप सत्य को बदल नहीं सकते, ना ही आप पृथ्वी का आकार बदल सकते हो,आप दुनिया नहीं बदल सकते,ना ही आप धरती और आकाश की दूरी को कम कर सकते हो,आप दिन को रात्रि में नहीं बदल सकते,ना ही आप रात्रि को दिन में बदल सकते हो, आप किसी मृत इंसान को जीवित नहीं कर सकते, ना ही आप ईश्वर के बनाए ऋतुओ को बदल सकते हो, फिर किस बात का है गुरूर तुम्हे जो तुम दिन रात पैसे के अहंकार में चूर रहते हो।
आज इस दुनिया में हर रिश्ता बिक चुका है,पैसे में आखिर ऐसा क्या है जो बेटे अपने ही माता-पिता के जान का दुश्मन बने हुए है, भाई ही भाई को देखना नहीं चाहता अपने ही भाई को शत्रु समझता है, ये पैसे और जायदाद के लोभ में पति पत्नी का रिश्ता भी मर्यादा को लांघ चुका है,आज कई ऐसे घर है जहां पत्नी अपने पति को धोखा दे रही है,कहीं पति अपनी पत्नी को धोखा दे रहे है।
जो तुम पैसे और जायदाद के लोभ में आ कर अपने ही माता-पिता,भाई बहन से बटवारे कर रहे हो,कभी ये क्यों नहीं सोचा कि तुम अपने ही शरीर के एक अंग को खुद की अज्ञानता के कारण स्वयं से विलग कर रहे हो। तुम्हारे शरीर में जो खून है वो भी माता-पिता का ही है, फिर कैसे तुम अपनों का ही खून बहा रहे हो ? जिस पैसे के लिए तुम अपनी इंसानियत को भुला बैठे वो पैसा तो कभी तुम्हारा था ही नहीं और ना ही कभी होगा, यदि कुछ तुम्हारा है, तो वो है तुम्हारा कर्म,यदि कुछ तुम्हारा है, तो वो है तुम्हारा परिवार
मैंने आज तक अपने हर रिश्ते में बस प्यार और सम्मान को ही अहमियत दिया है,अपनों से बढ़ कर कभी पैसे को अहमियत देने की मूर्खता नहीं की, मेरे लिए हर रिश्ता अनमोल है, क्योकि जो सबसे अनमोल है तो वो है हमारे अपने, माता-पिता दादा दादी,भाई बहन जिनका साथ पा कर हमे कभी अकेला महसूस नहीं होता।
अपनों के साथ जुड़ी यादों को आप भुला नहीं सकते,गुजरे दिनों को आप वापस ला नहीं सकते,पैसा तो सब कमा लेते है,मगर क्या कोई सच्चा प्यार पा सकता है ?
पैसो के लिए तुम अपने बुजुर्गो का यदि तिरस्कार करते हो, तो मान लेना तुम स्वयं ही अपने विनाश की तैयारी करते हो, क्योकि बुजुर्गो से ही हमारा संसार,हमारा घर खुशहाल बनता है,बुजुर्गो के आशीर्वाद से ही हमारा भविष्य उज्जवल बनता है, बुजुर्गो के सानिध्य में रह कर ही हमे अच्छे और बुरे का ज्ञान होता है,बुजुर्गो के ही साए में रह कर हमे अच्छे संस्कारो का बोध होता है।
2. पैसा ही सब कुछ नहीं होता।
दुनिया पैसो से नहीं चलती, क्योकि दुनिया को तुम मनुष्यो ने नहीं बनाया उस परमपिता परमात्मा ने बनाया है,दुनिया को चलाने की एकमात्र ताकत उस परमपिता परमात्मा में है,ना की तुम मनुष्यो में। इसलिए अपनी अज्ञानता से बाहर आने का प्रयास करो,अपने अच्छे कर्मो द्वारा दूसरो की सहायता करो,अच्छे विचारो को अपनाओ यकीनन एक दिन तुम्हे स्वयं पर फक्र होगा जब तुम्हारे कर्मो का हिसाब होगा और तुम्हारा साक्षात्कार उस परमपिता परमात्मा से होगा।