बदले की आग स्वयं को ही भस्म कर देती हैं।

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आप अनेको प्रयास करते हैं बहुत शिद्दत से कड़ी मेहनत से और सच्ची लगन से अपने पूरे परिवार के लिए एक बड़े से घर का निर्माण करते हैं,इस घर के निर्माण होने से पूर्व तक तथा निर्माण होने बाद तक आपको अपने घर से बहुत लगाव और प्यार होता हैं,अगर घर की दीवारे जब पुरानी हो जाती हैं तो वो कमजोर होने लगती हैं, मगर आप ये विचार करते हैं अभी तो ज्यादा क्षतिग्रस्त नहीं हुई जब अधिक क्षतिग्रस्त होने लगेगी तो मैं इसकी मरम्मत करवा दूंगा मगर अचानक से एक दिन जब वो खुद ही टूट कर गिर जाए तो आप क्या करेंगे ? इससे एक बात तो साफ हैं की यदि आपका घर स्वयं ही टूट कर गिर जाए तो इसमें रहने वाले सदस्यों को साथ ही साथ आपके बहुत से कीमती समान को भी क्षति अवश्य होगी क्योकि जिस स्थान पर आपका निवास हैं यदि वो क्षतिग्रस्त होता हैं तो इससे आपका भी बहुत बड़ा नुकसान होने की संभावना बनी रहती हैं और हो भी क्यों ना आखिरकार घर आपका हैं। 


जब आपका घर टूट कर बिखर जाएगा तो ये लाजमी हैं की आप उस घर को पुनः पूरी तरह से तुड़वा कर उस घर का एक मजबूत नींव रखेंगे जिससे आपका घर दोबारा क्षतिग्रस्त ना हो और ना ही उसमे बसने वाले किसी भी सदस्यों को कोई क्षति या नुकसान हो।अब यहां से शुरुआत होती हैं मेरी उस चेतावनी की जो आज इस धरा पर घटित हो रहा हैं,जिसे देख अब सहन नहीं होता क्योकि प्रत्येक चीज की एक सीमा होती हैं यदि वो सारी सीमाओं को लांघ जाए तो उसका अंत अनिवार्य हैं। 


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1. बदले की आग स्वयं को कैसे भस्म कर देती है ?


भगवान ने तुम्हे इंसान बनाया,ताकि तुम जगत का कल्याण कर सको,आ कर इस धरा पर ईश्वर के कार्य में उनके सहभागी बन सको,मगर स्वार्थ,लालच,अहंकार,ईर्ष्या ने दिया हैं तुम इंसानो में पाप और अधर्म का जन्म,ये कैसे भूल गए तुम की होता हैं एक ना एक दिन सबके बुरे कर्मो का अंत,क्योकि हर अंत के पश्चात ही शुरू होता हैं एक नए अध्याय का ग्रन्थ। 

चाहे कोई सिख हो या ईसाई,चाहे कोई हिन्दू हो या मुस्लमान आज एक बात अवश्य याद रखना भविष्य में सभी को होना होगा एक यदि कोई किसी का अहित करता हैं या किसी धर्म या जाति का विरोध करता हैं स्वयं को सबसे श्रेष्ठ मानता हैं और बाकि को स्वयं से छोटा मानता हैं तो ये भूल उनके लिए एक सीख होगी जब हर तरफ एक ही जाति और धर्म की जीत होगी। 

एक ही धर्म और एक ही जाति कहने का तात्पर्य हैं इस धरा पर रहने वाला हर मनुष्य एक ही परमात्मा की संतान हैं मगर नफरत और बदले की भावना में आ कर वो इस तरह बट चुके हैं की स्वयं के जान के दुश्मन बन चुके हैं, कोई भी लड़ाई,युद्ध या कलह आज तक किसी को सही अंजाम ना ही दिया हैं,ना ही देगा और ना ही देने वाला हैं, इसलिए बेहतर होगा अभी से ही स्वयं को सुधार लिया जाए वरना अंत बड़ा ही भयावह होने वाला हैं,क्योकि किसी भी युद्ध में खून की नदियां एक तरफ नहीं  बल्कि दोनों तरफ बहती हैं। 


चले हो तुम इंसानों को मजहबों और जातिवाद में बांटने,तुम्हे ये किसने हक दिया कि तुम किसी की जिंदगी से खेलो ?अपने नफरत और बदले की आग में तुम यू किसी बेकसूर को ना ढकेलो। 


2. क्या है जातिवाद और धर्म का भेद ?


ये ना भूलना तुम जातिवाद और धर्म में पक्षपात कर स्वयं को और दूसरे को बांटने चले हो बल्कि तुम ईश्वर को ही बांटने चले हो क्योकि ये तुम मनुष्य कैसे नहीं समझ पाए कि ''जब एक सूर्य सबको प्रकाश देता हैं,तो कोई भी मनुष्य एक दूसरे से भिन्न कैसे हो सकता ? परमेश्वर के लिए तुम में से कोई भी भिन्न नहीं ना ही ईश्वर ने किसी में कोई भेदभाव किया हैं,''सबकी जाति और मजहब एक हैं ,क्योकि ये संसार तो यहां के मनुष्यो से ही विभाजित हुआ हैं। 


* खामखा तुम युद्ध की चिंगारी फैला रहे,स्वयं में हो कर विभाजित एक दूसरे से नफरत की आग को भड़का रहे,यूँ बन के जो हिंसक तुम उत्पात मचा रहे,खत्म हुआ अब खेल तुम्हारा,तुम स्वयं ही अपने काल के समीप आ रहे।।



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