ऑपरेशन सिंदूर की ललकार अब नहीं सहेगा भारत अत्याचार।
क्या सोच कर मिटाया तुमने नारियों का सुहाग, धर्म पूछ कर तुमने गोलियां बरसाई, मासूम बेगुनाहों ने अपनी जान गवायी।
जिस सिंदूर को तुमने मिटाया ,वही सिंदूर तुम्हारा काल बन कर आया, सिंदूर ने हर आतंकी को मिटाया।
एक चुटकी सिंदूर की शक्ति को जो ना समझ पाए,अब वो भी सिंदूर की शक्ति से परिचित हो गए,सिंदूर की कहर से हर आतंकी भयभीत हो गए।
कैसे सोच लिया तुमने आतंक फैलाओगे, हर सनातनी की सिंदूर को मिटाओगे,भूल गए तुम सिंदूर की महिमा उस महाशक्ति के अस्तित्व की गरिमा,अब वही सिंदूर तुमसे अपना हिसाब मांग रहा ,बन कर बारूद तुम्हें मिटा रहा।
जो कहा था तुमने मोदी को बताओ, तुम्हारी क्या औकात जो तुम मोदी से टकराओ,अब मोदी के ऑपरेशन सिंदूर से अपनी गुनाहो की सजा पाओ।
ReplyDeleteVery beautiful poem, you have increased the respect of India and Indian Army.👍
Thank you
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