प्रकृति के अनकहे शब्द। (Untold Words Of Nature.)

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एक ही सूरज पूरे विश्व को प्रकाशित कर रहा है, एक ही चाँद पूरे विश्व को शीतल छाया प्रदान कर रहा है,आकाश और धरती के बीच में बसा है ये संसार, फिर भी क्यों बट रहा मानव, क्यों कर रहा इंसानियत को शर्मशार ? जाति और धर्म को बदनाम कर इंसान नफरत का हो रहा शिकार,काश तुम समझ पाते अगर तुम में होती जरा भी इंसानियत बुराई का हमेशा होता है बुरा ही अंजाम।  


यदि आप गौर करेंगे तो अब आपको ये संसार पहले की भाति नजर नहीं आएगा, अब सूरज का ताप इतना बढ़ गया कि किसी से सहन नहीं हो पा रहा, जो चाँद पहले अपनी रौशनी से अंधेरी रात को प्रकाशित करता था अब उस चाँद में ना पहले की तरह शीतलता रही ना ही रौशनी।आकाश भी पर्णतः अपनी दिव्यता खो चूका है। आपने कभी गौर नहीं किया आखिर ऐसा क्यों हुआ ?


1. संसार से दिव्यता क्यों लुप्त हो रही ?


मैं बताती हूँ इसका मुख्य कारण है मनुष्य जाति कुछ ऐसे मनुष्य इस संसार में मौजूद है जो ना इंसानियत को समझते है और ना ही उनमें जरा भी इंसानियत मौजूद है हर वक्त किसी को नुकसान पहुंचाने का विचार करना, हर पल बुरे कर्म में लिप्त रहना, ये पाप और अधर्म को जन्म देता है जिससे ना ही मानव जाति का अस्तित्व खतरे में है बल्कि समस्त संसार का अस्तित्व खतरे में है। हमेशा याद रखे यदि आप अपने घर को जानबूझ कर दूषित करेंगे तो उसका पूरा असर आपके ऊपर भी होगा क्योकि आप उस घर से जुड़े है अलग नहीं है। 


2. क्या होता है नफरत और बदले की भावना का परिणाम ?


गलती घर का एक सदस्य करता है मगर खामियाजा पूरे परिवार को भरना पड़ता है।क्योकि आपका परिवार आपसे जुड़ा है। आपको पता है जिस परिवार में एकता सम्मान और प्यार की भावना समाहित होती है उस परिवार को कभी कोई क्षति या नुकसान नहीं पहुंचा सकता यदि परिवार के सभी सदस्य आपस में बटने लगते है,सबके दिलों में एक दूसरे के लिए नफरत और बदले की भावना पलने लगती है तो उस परिवार की सारी खुशियाँ छीनने लगती है उस घर से दिव्यता चली जाती है ऐसे घरो में केवल अशांति दुःख और कलह उत्पन्न होने लगती है। 


3. अराजकता को दूर करना क्यों है जरूरी ?


उचित कर्म, न्याय का पालन, धर्म की राह आपको निराश नहीं कर सकता आज जो समस्त विश्व बट रहा और  विश्व में हर तरफ अराजकता को बढ़ावा मिल रहा वो एक दिन सबको तबाह कर देगा। छोटे-छोटे मासूम बच्चे, बुजुर्गो ने क्या बिगाड़ा है ? जब भी अन्याय अपना शीश उठाता है ना जाने कितने मासूम अपनी जिंदगी खो देते है ये अन्याय अगर रोका ना गया तो एक दिन इस संसार में मनुष्यों का अस्तित्व ही नहीं बचेगा। 




आज मनुष्यों का ही कर्म है जो कोरोना जैसी महामारी, तो कहीं पर प्राकृतिक आपदाएं उत्पन्न हो रही है फिर भी मनुष्य स्वयं में ना बदलाव ला रहा, ना ही अपने कर्म को सुधारने का प्रयास कर रहा। 

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  1. You have very well tried to awaken humanity through your article, which is extremely important. Your article is praiseworthy.👍

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