क्यों नहीं देते लोग तुम्हें महत्व ?

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1. क्यों नहीं देते लोग तुम्हें महत्व ?


कोई आपको महत्व दे अथवा ना दे मगर यदि आप इस बात से परेशान हो कर स्वयं को दुखी करने का प्रयास करते है तो ये मान लेना आप खुद ही अपने महत्व को कम कर रहे है, क्योकि आप स्वयं से अधिक महत्व उस व्यक्ति को दे रहे है जिसकी नजरो में आपका कोई महत्व नहीं,अक्सर लोग इस बात से सदैव दुखी रहते है कि क्यों कोई उनके जज़्बात को नहीं समझता, क्यों कोई उनकी कद्र नहीं करता। सबसे अहम बात आज जान लो कि यदि आपको अपनी अहमियत का एहसास कराना है तो सबसे पहले आपको खुद अपनी नजरो में उठना होगा तभी आप दूसरो की नजरो में उठ सकते है। अर्थात आपको स्वयं में एक बदलाव लाना होगा, जीवन में सही और गलत को परखने का हुनर सीखना होगा, जरूरी नहीं आप जिसे चाहते है आप जिसे बेहद प्यार करते है वो भी आपकी तरह आपको प्यार दे क्योकि आप स्वयं को बदल सकते है, अपनी सोच को बदल सकते है किसी अन्य व्यक्ति को आप नहीं बदल सकते ना तो आप उनकी सोच को बदल सकते है।  



इस दुनिया में अनगिनत लोग है सबकी सोच और सबकी आदते भी एक दूसरे से अलग है सबकी सोच एक समान नहीं सबकी पसंद और नापसंद एक समान नहीं हर किसी के सोचने का एक अलग नजरिया होता है। यदि आप इस बात को सोच कर दुखी और परेशान है कि सब आपकी तरह नहीं सोचते तो इसमें कसूर आपका है उनका कोई कसूर नहीं। भगवान की पूजा सब करते है भगवान का ध्यान और भक्ति भी सब करते है तो क्या भगवान की पूजा और भक्ति सबकी सफल हो जाती है ? 



क्या सब प्राणी सच्चे दिल से ईश्वर का ध्यान लगाते है ? जरूरी नहीं सबको ईश्वर के प्रत्यक्ष दर्शन हो क्योकि दर्शन वही पाता है जो दर्शन करने का पात्र होता है। क्योकि दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी है जो पूजा पाठ करने के बावजूद भी अच्छे कर्म नहीं करते, जो अच्छी सोच को नहीं अपनाते तो क्या ऐसे लोग ईश्वर को महसूस कर सकते है ?


2. किसे देते है ईश्वर अपनी मौजूदगी का एहसास ?


ईश्वर की मौजूदगी का एहसास एकमात्र उसे ही हो सकता है जिसका मन और दिल साफ हो भले ही वो पूजा पाठ करे अथवा ना करे उसकी अच्छी सोच उसके अच्छे कर्म ही उसकी ईश्वर के प्रति भक्ति कहलाती है। 


आपने देखा और सुना होगा कुछ लोग मंदिर में अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए ईश्वर से प्राथना करते है ईश्वर की भक्ति करते है मगर जब उनका कोई कार्य सम्पन्न नहीं हो पाता तो दूसरे ही दिन वो ईश्वर को दोषी ठहराने लगते है ईश्वर की निंदा करने लगते है, ऐसे में क्या ईश्वर ये सोच कर दुखी हो जाएंगे कि संसार के कुछ मनुष्य मेरी निंदा कर रहे है, मेरी अहमियत को नहीं समझ रहे है ? ईश्वर को पता है उनका स्थान क्या है, ईश्वर को पता है कौन कैसा है, ना तो ईश्वर किसी को जवाब देना जरूरी समझते है और ना तो अपनी निंदा से परेशान होते है, क्योकि किसकी क्या मनोदशा है ये बखूबी जानते है भगवान। 


3. अधिक सोचना बंद करो, खुद से प्यार करना सीखो फिर देखो बदलाव। 


फिर आप क्यों स्वयं को परेशान और दुखी करते हो ? ये तो लोगो का काम है उनकी सोच को आप नहीं बदल सकते बेहतर होगा आप स्वयं को बदलने की आदत डाल लो अपनी जिंदगी की कीमत और अहमियत को जान लो खुद से प्यार करना सीख लो एक दिन उन्हें भी तुम्हारी कद्र होगी जो आज तुम्हें अहमियत नहीं दे रहे, एक दिन उन्हें भी तुम्हारी कमी महसूस होगी जिनके जीवन में तुम्हारा कोई महत्व नहीं, क्योकि समय कभी ठहरता नहीं समय आगे बढ़ते रहता है और एक दिन सबका समय आता है जब वो समय की कद्र को समझते है जब वो समय को महत्व देते है क्योकि समय बड़े से बड़े जख्म को भी भर देता है। 


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2Comments


  1. You are absolutely right, until we understand our own importance, no one can understand our importance.👍

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