हर झूठ से अब उठेगा पर्दा।

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 सत्य और असत्य की जंग में जिसने थाम रखा हैं असत्य का दामन,हो जाना खबरदार क्योकि जल्द ही गिरने वाली हैं न्याय के रास्ते के बीच खड़ी अन्याय की दीवार। 







1. ऐसा क्या है जिसे कोई कैद नहीं कर सकता ना ही उसे मिटा सकता है ?


जब कोई इंसान झूठ कहता हैं या अपना कोई झूठ छिपाता हैं तो अपना एक झूठ छिपाने के लिए उसे कई झूठ बोलना पड़ता हैं जिससे वो अपना एक झूठ छिपाने के कारण कई झूठ के घेरे में आ जाता हैं जिससे बाहर निकल पाना इतना आसान नहीं जितना आसान वो समझता हैं। मगर जब कोई इंसान सच कहता हैं और सच का साथ देता हैं तो उसे कुछ भी सफाई देने की पेशकश नहीं करनी पड़ती हैं, क्योकि सच तो पानी की तरह साफ और निर्मल होता हैं,जिसे कोई भी कैद नहीं कर सकता हैं और ना ही सत्य को मिटा सकता हैं। 


तुम सबूतों को मिटा सकते हो,गवाहों को मिटा सकते हो मगर जो किसी के मिटाए नहीं मिटता,''वो हैं सत्य, जिसे कोई ना ही मिटा सकता हैं और ना ही दफन कर सकता हैं। इंसान अपनी इंसानियत भूल सकता हैं,कुछ लोग अपने जमीर को बेच सकते हैं,तुम झूठे गवाह खरीद सकते हो मगर तुम जो नहीं कर सकते,वो हैं सत्य को बदलना,तुम सत्य को कभी बदल नहीं सकते,तुम अपने झूठ से लोगो की आँखों में धूल झोक सकते हो मगर तुम ईश्वर की आँखों में पट्टी नहीं बांध सकते,तुम अपने गुनाह और अपने कर्मो से पीछे नहीं हट सकते। 


2. एक ऐसा न्यायालय जहां सबूतों की जरूरत नहीं पड़ती। 


संसार के सभी प्राणियों जरा विचार करना,''क्या समय का चक्र कभी उल्टा घुमा हैं ? क्या समय किसी के लिए थमा हैं ? या कोई समय के कालचक्र को रोक पाया हैं ? 


कदापि नहीं समय तो समय हैं,ये समय किसी के लिए भी नहीं रुकता,ये समय किसी के लिए भी उल्टा नहीं घूमता,ठीक वैसे ही इंसाफ हमेशा सत्य के साथ होते आया हैं और होते आएगा भले ही इस कलयुग में मानव ने अपने पैसे,शासन और सक्ता के बल पर सत्य को दबाने का अपराध किया हैं,मगर कोई भी अपराध कानून से छुप सकता हैं,मगर जो कानून से भी सर्वोच्च हैं वो हैं ईश्वर का न्यायालय जहाँ ना ही सबूतों की जरूरत हैं और ना ही गवाहों की वहां तो बस गुनाहो की सजा सुनाई जाती हैं और गुनाह करने वाले का सारा गुनाह स्वयं ही उसके आँखों के सामने दिखाया जाता हैं। 


यदि तुम मनुष्य हो कर भी पशु तुल्य व्यवहार और आचरण अपनाते हो तो तुम्हे स्वयं को मनुष्य कहलाने का कोई हक नहीं। आज खौफनाक और आदमखोर जानवरो को पकड़ने के लिए सभी परेशान हैं,क्योकि सबको अपने जान एवं हानि की चिंता हैं कभी सोचा हैं अचानक क्यों ये जानवर हिंसक आदमखोर भड़क उठे ? जब संसार में इंसान हो कर भी तुम जानवरो से भी ज्यादा क्रूरता दिखाओगे तो वो जानवर भी तो अपनी क्रूरता तुम्हे पेश करेंगे। 


तुम मनुष्य एक परिवार को संभाल नहीं पाते कभी सोचा हैं, भगवान ने तो समस्त ब्रह्माण्ड को संभाल रखा हैं। तुम्हे कैसे लगता हैं की संसार में इतना कुछ घटित हो रहा हैं और भगवान शांत हैं ? जरा विचार करो तुम्हारे घर में कोई घटना या कोई छोटी सी भी कलह अशांति होती हैं, तो क्या तुम कोई प्रतिक्रिया नहीं देते ? क्या तुम चुपचाप तमाशा देखते हो ?


 उस समस्या का हल तो अवश्य ही निकालने का प्रयास करते होंगे तुम सभी मनुष्य मगर शांत तो नहीं बैठते होंगे, क्योकि ये तुम्हारे अपने घर की और परिवार की बात हैं, तो सोचो भगवान कैसे शांति धारण कर सकते हैं ? तुम मनुष्य कैसे कह सकते हो भगवान को दुःख नहीं होता ये सब देख ?


 भगवान भी दुखी होते हैं,भगवान भी रोते हैं,मगर भगवान अन्याय को ज्यादा दिन तक सहन नहीं कर सकते। सब कुछ तय होता हैं सब पहले से निर्धारित होता हैं, कि कब भगवान को हस्तछेप करना हैं। जब समय आएगा सब कुछ तुम सबकी आँखों के समक्ष ही घटित होगा ! जिस दिन ऐसा होगा ये देख समस्त संसार अचंभित होगा क्योकि अब जल्द ही झूठ का सामना साक्षात् ईश्वर से होगा। 


3. झूठ की उम्र छोटी क्यों होती है ?


झूठ अपने चारों ओर चाहे कितनी भी बड़ी दीवार खड़ी कर ले मगर एक ना एक दिन वो दीवार गिर कर रहती हैं क्योकि झूठ से खड़ी दीवार दीमक के द्वारा खाई लकड़ी की तरह खोखली होती हैं, वो कब गिर जाए इसका किसी को पता नहीं होता हैं।


 जैसे आप कोई  इमारत या घर की नींव खड़ी करते हैं, यदि वो नींव कच्ची रहेगी तो उस इमारत और घर के गिरने का भय होता हैं ! क्योकि जब भी वो गिरेगा नुकसान एकमात्र इमारत या घर को ही नहीं बल्कि उसमे बसने वाले लोगो को भी क्षति पहुंचेगी।  







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