किसने दिया हैं हक लोगो को जो तुम्हारी जिंदगी का फैसला सुनाएंगे ? ये ना भूलो ये जिंदगी तुम्हे खुदा ने दी हैं अब वही तुम्हे सही राह दिखाएंगे।
क्यों हताश होते हो तुम,क्यों निराश होते हो तुम ? ये तो जीवन हैं इसमें सुख और दुःख तो आते-जाते रहेंगे,मगर जो दुःख में भी हिम्मत ना हारे,खुदा अपनी रहमत उस पर बरसाते रहेंगे।
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1.क्यों है मनुष्य असली सुख से वंचित ?
आज मैंने ये विचार किया की इस दुनिया में जाने कितने ऐसे लोग हैं जिनके पास कहने को तो सब कुछ हैं मगर जो उनके जीवन का असली सुख हैं वो उस सुख से ही वंचित हैं और कहीं पे ऐसे लोग हैं जिनके पास सब कुछ ना होते हुए भी यदि कुछ हैं तो वो हैं धैर्य और संतोष,ये एक ऐसा साधन जो सबका समाधान कर जाता हैं। क्योकि एक असंतुष्ट मन कभी चैन और सुकून नहीं पा सकता अधिक लालसा ही मनुष्य के भीतर अनेको विकारो को जन्म देती हैं जो यदि पूरी नहीं होती तो मनुष्य अपनी लालसा को पूर्ण करने हेतु कई बुरे रास्ते पर चल पड़ता हैं और अंत में वो अपनी जिंदगी से हार जाता हैं।
इसलिए धैर्य और संतोष का दामन जिसने थाम लिया वही अपने जीवन के सही मायने को जान लिया।
इंसान में ही कई गुण पाए जाते हैं और इंसान में ही कई अवगुण पाए जाते हैं मगर गहराई से चिंतन किया जाए तो एक ही विचार सबके जहन में आता होगा,कि हैं तो सब इंसान मगर इंसान हो कर भी कोई अपनी इंसानियत को जागृत रखता हैं,तो कोई इंसान हो कर भी अपनी इंसानियत को भुला कर अपने भीतर हैवानियत को जागृत करता हैं,जिसे देख कर अधिकांश मनुष्य यही सोचते हैं,की प्रभु ये तेरी कैसी माया हैं एक इंसान हो कर इस जहान में इंसान के दिल में दूसरे इंसान के लिए कितना घृणा समाया हैं।
2. सही और गलत मंशा को समझना क्यों है जरूरी ?
जब कोई तुम्हारी बात नहीं मानता या कोई तुम्हरा साथ नहीं देता तो तुम्हे उस व्यक्ति से यकीनन नफरत होने लगती हैं मगर इस बात पे ध्यान अवश्य दे की आपकी मंशा कैसी हैं ? सही या गलत ? यदि आप सही हो और कोई आपका समर्थन नहीं करता तो इसमें आपकी कोई गलती नहीं,ना ही व्यक्ति की क्योकि इस संसार में यदि हर इंसान एक जैसा हो जाता तो क्या आज संसार में इतना पाप और अधर्म घटित होता ?
दूसरी तरफ देखा जाए तो यदि तुम्हारा चुनाव या फैसला किसी को हानि पहुंचाने का हैं,तब यदि कोई तुम्हारा साथ नहीं देता तो इसमें गलती तुम्हारी हैं की तुमने अपने जीवन को स्वयं ही गलत दिशा में ले जाने का प्रयास किया हैं,और अपने साथ-साथ तुम दुसरो को भी उसी अंधकार में ले जाना चाहते हो यकीनन तुम अपने साथ-साथ दुसरो को भी गुनहगार बनाने का अपराध कर रहे हो,इस तरह तो अपने विनाश को तुम स्वयं बुलावा दे रहे हो।
3. क्यों है विश्व को जागने की जरूरत ?
जब तुम किसी बीमारी का इलाज वक्त रहते सही समय पर नहीं करवाते हो तो वो बीमारी एक गंभीर बीमारी का रूप ले लेती हैं,बाद में वो बिमारी लाइलाज हो जाती हैं जिसका सीधा असर तुम्हारे जीवन पर पड़ता हैं,क्योकि इस बीमारी से तुम्हारा जीवन संकट में पड़ जाता हैं''उसी तरह जब कहीं किसी जगह या किसी भी देश में जुल्म या अधर्म हो रहा हैं,यदि तुम उसे समय रहते अन्य लोगो की सहायता ले कर खत्म करने का प्रयास नहीं करोगे तो वो बाद में तुम्हे अपने रास्ते से हटाने का प्रयास करेगा इसलिए वक्त रहते जाग जाओ अन्यथा तमाम उम्र तुम्हे सोना पड़ सकता हैं अर्थात अपनी जिंदगी खोना पड़ सकता हैं।
यदि तुम सही हो और तुमने कभी किसी का बुरा नहीं सोचा और ना ही किसी का कभी बुरा चाहा हैं तो तुम्हे किसी से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं,क्योकि तुम सच के साथ हो,अच्छाई के साथ हो। मेरी इन बातो को गौर करना मान लो दो रास्ते हैं तुम्हारी मजिल के बीच, एक रास्ता जो काफी नजदीक हैं मगर वो रास्ता काफी गंदा और कीचड़ो से भरा हैं और दूसरा रास्ता जो तुम्हारी मंजिल से दूर हैं,मगर वो बिल्कुल साफ-सुथरा हैं तो तुम किस रास्ते की तरफ अपना कदम आगे बढ़ाओगे ?
ये विचार तुम्हे करना हैं यदि जल्दी के चक्कर में तुमने आसान रास्ते का चुनाव किया जहाँ इतनी गंदगी भरी हैं तो तुम्हे वो गंदगी अपनी तरह मैली और दूषित बना देगी जहां से तुम निकल तो जाओगे मगर जो दाग होंगे वो कभी साफ नहीं होंगे तुम चाह कर भी उस रास्ते से उस दलदल से बाहर निकल नहीं पाओगे यदि तुम निकल भी गए तो आजीवन तुम कभी सही मंजिल तक नहीं पहुंच पाओगे क्योकि बुराई और अधर्म का रास्ता जितना आसान दिखाई पड़ता हैं हकीकत में वो एक दलदल हैं,मगर अच्छाई और सत्य की राह एकमात्र ऐसी विकल्प और चुनाव हैं जो भले ही शुरुआत में कठिन हो मगर आजीवन सभी चिंताओं से दुःख से तथा भय से मुक्त रखता हैं।
अब फैसला तुम मनुष्यो को करना हैं भगवान का काम हैं तुम्हे सही रास्ता दिखाना चलना और ना चलना ये तो मनुष्य पर निर्भर करता हैं मगर ये जो मनुष्य भगवान पर आरोप लगाता हैं की भगवान कुछ करते क्यों नहीं चुपचाप तमाशा देखते हैं,जरा विचार करो भगवान ने कहा,तुम मनुष्य गलत रास्ते पर चलो,जुल्म को सहन करो, किसी का अहित करो,नहीं कहा ना फिर भगवान कैसे दोषी हुए ?