क्यों है मौनी अमावस्या का विशेष महत्व ?

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1. मौनी अमावस्या कब मनाई जाती है ?


माघ अमावस्या (जिसे माघी अमावस्या भी कहा जाता है) हिंदू महीने माघ में आती है, इसलिए इसका नाम माघ अमावस्या है। यह मौन व्रत रखने का दिन है, इसलिए इसे मौनी अमावस्या भी कहा जाता है। मौनी व्रत का अर्थ है कि व्रत रखने वाला व्यक्ति एक भी शब्द नहीं बोल सकता। यह सबसे कठिन प्रकार का उपवास है। केवल कुछ लोग ही इस व्रत को रखने में सफल होते हैं। यह खुद से जुड़ने का दिन है।


तिथि : - अमावस्या 06:02 PM तक

नक्षत्र : - उत्तरा आषाढ़ 08:12 PM तक

दिन : -  29 जनवरी 2025  ( बुधवार )


2. क्यों है मौनी अमावस्या का विशेष महत्व ?


हमारे सनातन हिन्दू धर्म में इस तिथि का एक विशेष महत्व है ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से सारे पाप दोष से मुक्ति मिल जाती है,हमारा मन और शरीर शुद्ध और पवित्र हो जाता है। 


3. मौनी अमावस्या के दिन क्या करें,क्या न करें ?


मौनी अमावस्या के दिन स्नान और पूजन कर ईश्वर का ध्यान करें जरूरतमंदो की सहायता तथा दान पुण्य अवश्य करें।मौनी अमावस्या के दिन मौन रहने की परंपरा है इस दिन भूल कर भी कोई अशब्द ना कहे। यदि आप पूरे दिन का मौन व्रत नहीं रख सकते तो इस दिन प्रातः काल समय पर उठ कर अपने घर की साफ- सफाई कर  बिना कुछ बोले मौन धारण कर स्नान कर ले यदि आप गंगा नदी में स्नान करने नहीं जा सकते तो आप घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल,काला तिल और हल्दी मिला कर स्नान कर ले ऐसा करने से भी आपको वही पुण्य प्राप्त होगा जो गंगा में स्नान करने से प्राप्त होता है।स्नान के बाद पूरे घर में गंगाजल अवश्य छिड़क दे ऐसा करने से आपके घर की नकारात्मकता दूर होगी और आपका घर शुद्ध और पवित्र होगा। फिर अपने नियमानुसार पूजा और ध्यान करें भगवान को भोग लगा कर उस प्रसाद को खुद भी ग्रहण करे तथा सबमे बांटे। 


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