(toc) #title=(Table Of Content)
** क्या है महाशिवरात्रि का वास्तविक अर्थ ?
महाशिवरात्रि हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है जो फाल्गुन माह में मनाया जाता है और यह शुभ दिन भगवान शिव की पूजा करने के लिए समर्पित है। महा शिवरात्रि का अर्थ है शिव की रात्रि जब हजारों शिव भक्त उपवास रखते हैं, भगवान महादेव को अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं, सभी भक्तगण इस दिन उपवास व्रत रख कर महादेव और देवी पार्वती की पूजा अर्चना करते है और इस दिन को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं। वर्ष 2025 में, महाशिवरात्रि उत्सव 26 फरवरी, 2025, बुधवार को मनाया जाएगा और सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि यह उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होने वाले सबसे बड़े आध्यात्मिक समारोहों में से एक महा कुंभ मेले का अंतिम दिन होगा।
भगवान शिव के भक्त इस उत्सव का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, जब वे अपने इष्ट देव महादेव की पूजा करेंगे और गुरु के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करेंगे। लोगों को इस अद्भुत उत्सव को मनाने के लिए सही तिथि,समय और शुभ मुहर्त की तलाश करनी चाहिए, इसलिए यहाँ हमने उत्सव के लिए सही तिथि और समय का उल्लेख किया है:-
** महाशिवरात्रि 2025 पूजा शुभ मुहूर्त समय -
चतुर्दशी तिथि आरंभ - 26 फरवरी 2025 - 11:08 पूर्वाह्न..
चतुर्दशी तिथि समापन - 27 फरवरी, 2025 - 08:54 पूर्वाह्न..
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - 26 फरवरी 2025 - शाम 06:18 बजे..
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 27 फरवरी 2025 - रात्रि 09:25 बजे..
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 27 फरवरी 2025 - 12:33 पूर्वाह्न ..
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 27 फरवरी 2025 - 03:40 पूर्वाह्न ..
** महा शिवरात्रि 2025: महत्व-
महा शिवरात्रि शिव और शक्ति के संयोजन का उनके मिलन का प्रतिनिधित्व करती है।जो ब्रह्मांड का संरक्षण और संतुलन स्थापित करने वाले पुरुष और स्त्री ऊर्जा के संघ को संबोधित करती है। ऐसा माना जाता है कि इस रात को, भगवान शिव ने तांडव किया, जो सृजन, सुरक्षा और विनाश का प्रतिनिधित्व करने वाला एक विशाल नृत्य है।भक्त इसे शिव और शक्ति के मिलन के रूप में भी मनाते हैं जब शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया था, सृष्टि में संतुलन स्थापित करने हेतु प्रकृति और पुरुष का एक होना अति आवश्यक है।
एक शिवमहापुराण अनुसार जब चंद्रदेव को प्रजापति दक्ष ने श्राप दिया था तब महादेव ने चंद्रदेव को प्रजापति दक्ष के श्राप से मुक्ति दिलाई और चंद्रदेव को अपने शीश के ऊपर धारण किया जिससे चंद्रदेव को पुनः उनका खोया स्वरूप वापस मिल गया इस खुशी में सबने महादेव की पूजा अर्चना कर दूध और गंगाजल से उनका अभिषेक किया उनके लिए अनुष्ठान रखा। महाशिवरात्रि के दिन साधक को अपनी आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाने में काफी मदद मिलती है क्योकि इस दिन अध्यात्म ऊर्जा अपने चरम पर होती है जिससे आध्यात्मिक शक्ति का विकास होता है।
आप इस महाशिवरात्रि के सुनहरे अवसर को भूल कर भी ना गवाए, सभी नियमो का पालन करें पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ महादेव और देवी पार्वती की पूजा अर्चना करें आपके सभी मनोरथ अवश्य सिद्ध होंगे इसी विश्वास और कामना के साथ आने वाली माहाशिवरात्रि की आपको ढ़ेरो शुभकामना।
ReplyDeleteThank you very much for the information and worship method given on Mahashivratri.👍
Thank you
Delete